Matkar Maya Ko Ahankar By Neeraj Arya's Kabir Cafe From Album Panchrang
मत कर माया को अहंकार
मत कर काया को अभिमान
काया गार से कांची
मत कर माया को अहंकार
मत कर काया को अभिमान
काया गार से कांची
हो काया गार से कांची
रे जैसे ओस रा मोती
झोंका पवन का लग जाए
झपका पवन का लग जाए
काया धूल हो जासी
काया तेरी धूल हो जासी
ऐसा सख्त था महाराज
जिनका मुल्कों में राज
जिन घर झूलता हाथी
जिन घर झूलता हाथी
हो जिन घर झूलता हाथी
उन घर दिया ना बाती
झोंका पवन का लग जाए
झपका पवन का लग जाए
काया धूल हो जासी
काया तेरी धूल हो जासी
खूट गया सिन्दड़ा रो तेल
बिखर गया सब निज खेल
बुझ गयी दिया की बाती
हो बुझ गयी दिया की बाती
रे जैसे ओस रा मोती
झोंका पवन का लग जाए
झपका पवन का लग जाए
काया धूल हो जासी
काया तेरी धूल हो जासी
झूठा माई थारो बाप
झूठा सकल परिवार
झूठी कूटता छाती
झूठी कूटता छाती
हो झूठी कूटता छाती
रे जैसे ओस रा मोती
बोल्या भवानी हो नाथ
गुरुजी ने सर पे धरया हाथ
जिनसे मुक्ति मिल जासी
जिनसे मुक्ति मिल जासी
बोल्या भवानी हो नाथ
गुरुजी ने सिर पे धरया हाथ
जिनसे मुक्ति हो जासी
जिनसे मुक्ति हो जासी
हो जिनसे मुक्ति मिल जासी
रे जैसे ओस रा मोती
झोंका… झोंका…
मत कर माया को अहंकार
मत कर काया को अभिमान
काया गार से कांची
हो काया गार से कांची
रे जैसे ओस रा मोती
झोंका पवन का लग जाए
झपका पवन का लग जाए
काया धूल हो जासी
काया तेरी धूल हो जासी
काया तेरी धूल हो जासी
काया तेरी धूल हो जासी
काया धूल हो जासी
This is Kabir's 700 year old verse recreated by Neeraj
Arya's Kabir Cafe. In this song, Kabir tells us to take life slowly and enjoy every moment of it, and this song stays especially true in today's severely competitive world.